National Girl Child Day: 24 January राष्ट्रीय बालिका दिवस कयी मनाया जाता है

National Girl Child Day: 24 January राष्ट्रीय बालिका दिवस कयी मनाया जाता है

परिचय

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है सभी का, इस ब्लॉग पर। तो सबसे पहले आप सभी को बालिका दिवस की बहुत बहुत शुभ कामनाये। इस दिवस का महत्व क्या है और क्यूँ मानते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे।

 

बालिका दिवस का महत्व

तो बालिका दिवस के मौके पर मैं बताऊंगा की। आखिर। बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है? 24 जनवरी को हर साल कन्या दिवस ? या फिर बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है? जिसका उद्देश्य बालिकाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना और संवेदनायें व्यक्त करना होती है।

क्योंकि कन्या दिवस मनाना तो ठीक है? लेकिन सोचने वाली बात यह है कि कन्या दिवस मनाने की जरुरत क्यों पड़ गए है आखिर क्यों की हमारा समाज बालिकाओं को कमजोर समझता है? आज भी भारत में तमाम ऐसी सोच के व्यक्ति होंगे परिवार यहाँ तक कि समाज, मिल जायेंगे जो बालिकाओं को कमजोर समझते हैं शराब समझते हैं। और जब कन्या इन घरों में जन्म लेती है तो लोग दुखी हो जाते हैं इन्ही दूषित मानसिकता के लोगों को। कन्याओं की ताकत व कन्याओं की अहमियत को जलाने के लिए इस राष्ट्रीय कन्या दिवस मनाने की जरूरत पड़ी।

आज के ही दिन क्यों मनाया जाता है आखिर 24 जनवरी को ही क्यों माना जाता है क्योंकि 24 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया। इसी दिन इंदिरा गाँधी ने वर्ष 1966 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। राष्ट्रीय बालिका दिवस को नारीशक्ति के रूप में भी याद किया जाता है। इसका प्रथम उद्देश्य लोगों को बालिकाओं के प्रति व्याप्त भ्रांतियां दूर करना, जागरूकता फैलाना और कन्या वरूण हत्या के प्रति लोगों को जागरूक करना।

 

बालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका

जहाँ एक तरफ देश में नवरात्री जैसे धार्मिक अवसर पर कन्याओं को पूजा जाता है तो दूसरी तरफ बेटी के जन्म पर खुशी नहीं मनाई जाती है तो बेटे के जन्म पर बहुत सारी खुशियाँ मनायी जाती है। देश के बहुत सारे स्थानों पर बच्चियों को अभिशाप माना जाता है।

अब एक बार देश की जनसंख्या पर अगर नजर डालें तो भारत में 1000 पुरुषों पर मात्र 940 महिलाएं हैं। यही कुछ राज्यों में जैसे चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान की बात करें तो वहाँ पर 800-850 के करीब महिलाओं की संख्या है। अब आप खुद ही सोच सकते हो की अगर इतनी कम महिलाएं होंगी तो कई सारे पुरुष ऐसे होंगे जिनकी शादियां भी नहीं होंगी। क्योंकि लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं। इसलिए उन्हें पढाई से भी दूर रखते हैं। लोगों की यह सोच लड़कियां नहीं, लड़की ही उनके बुढ़ापे में काम आयेंगे। और लड़कियां सिर्फ काम करने के लिए ही होती है।

लड़कियों को आगे बढ़ने में बहुत सारी वादा है। आज देश में सच्ची का स्तर लड़कियों का लड़कों के मुकाबले काफी कम है। जबकि कई सारे ऐसे एग्जाम है जिसमें लड़कियां टॉप भी कर रही हैं। लेकिन जहाँ लड़कों का सच्ची स्तर ए टी टू पर्सेंट है पूरे इंडिया में वहीं लड़कियों का सच्ची स्तर सिर्फ सिक्स्टी फाइव परसेंट है।

 

समाप्ति

प्रेजेंट टाइम में मेरा भी एक छोटा सन्देश है। लड़कि हो या लड़का सभी एक समान होते हैं यह हमें समझने की जरुरत है बस इसी के साथ इस ब्लॉग में इतना ही। और आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहे हमारे वेबसाइट https://taazatym.com/amp/ के साथ।

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